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एक जोमो का जीवन
- Author(s):
- Sumar Jomo, Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2023
- Group(s):
- Buddhist Studies
- Subject(s):
- India--Kinnaur, Tibetan language--Religious aspects--Buddhism
- Item Type:
- Interview
- Tag(s):
- Jomo, Women’s Religious Expression, bhikkhunī
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/apfp-w916
- Abstract:
- पत्रकार और शिक्षाविद् प्रमोद रंजन ने जून, 2017 में हिमाचल प्रदेश के दुर्गम इलाकों की यात्रा की थी। इस यात्रा में उन्हें किन्नौर जिले के सुदूर गांव कानम के एक गोम्पा में सुमार नाम की जोमो मिलीं। जोमो यानी बौद्ध भिक्षुणी। मध्य हिमालय की अपूर्व शांति से भरी उस घाटी में सहज वात्सल्य से भरीं 56 वर्षीय सुमार के साथ कुछ घंटे बिताना उनके लिए एक अनूठा अनुभव था। भावना के तल पर वे एक–दूसरे तक बखूबी संप्रेषित हो पा रहे थे; लेकिन दुनियावी प्रश्नों के उत्तर पाने में हिंदी भाषा का तिब्बती लहजे में सुमार का उच्चारण एक बड़ी बाधा थी। प्रमोद रंजन ने उनसे जानना चाहा कि जोमो बनने की प्रक्रिया क्या है? परंपराएं और आज के संदर्भ में उनकी स्थिति क्या है? सुमार बताती हैं कि बौद्ध भिक्षुणी बनने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है। इनमें बाल कटवाने से लेकर पेंटिंग बनाने और शादी-प्रेम नहीं करने तक के बंधन होते हैं। उन्हें बस आदि सार्वजनिक वाहनों में सफर करने की मनाही होती है ताकि कोई पुरूष उन्हें छू न ले। प्रमोद रंजन ने सुमार से हुई बातचीत को अपने मोबाइल–कैमरे में रिकॉर्ड किया था। यहां उस बातचीत के लिप्यांतर को अपलोड किया गया है। यह बयान पत्रिका के मई, 2023 अंक में प्रकाशित हुई थी।
- Notes:
- यह लेख फारवर्ड प्रेस की वेबसाइट पर 2 अक्टूबर, 2019 को प्रकाशित हुआ था, जिसे यहां देखा जा सकता है: https://www.forwardpress.in/2019/10/oral-history-india-himachal-hindi/ साथ ही यह प्रमोद रंजन की किताब 'शिमला डायरी' में भी संकलित है। यह किताब यहां उपलब्ध है: https://hal.science/hal-03853352
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Journal article Show details
- Pub. Date:
- 2023
- Journal:
- बयान
- Volume:
- 10
- Issue:
- 110
- Page Range:
- 38 - 40
- ISSN:
- 2321-9300
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 6 months ago
- License:
- Attribution
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Item Name: ek-jomo-ka-jivan_bayan_may_2023_pramod-ranjan.pdf
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