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महिषासुर: मिथक व परंपराएं
- Contributor(s):
- Anil Asur, Sushma Asur, Sambhaji Bhagat, Kanwal Bharti, Sanjeev Chandan, Ujjwal Debnath, Vikas Dubey, Ramnika Gupta, B.P. Mahesh Chandra Guru, Suresh Jagannathan, DN Jha, Omprakash Kashyap, Anil Kumar, Naval Kishor Kumar, Nivedita Menon, Kumar Mukul, Ashwini Kumar Pankaj, Jyotirao Phule, Siddharth Ramu, Chhajulal Silana, Hareram Singh, Cynthia Stephen, Noor Zaheer
- Editor(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Translator(s):
- Amrish Herdenia
- Date:
- 2017
- Group(s):
- Cultural Studies, Gender Studies, Public Humanities, Religious Studies, Sociology
- Subject(s):
- Indigenous peoples--Social life and customs, Blasphemy, Culture conflict, Counterculture, Durgā (Hindu deity), Mahiṣāsuramardinī (Hindu deity), Hinduism, Dalits
- Item Type:
- Book
- Tag(s):
- Mahishasur: Mithak v Paramparayen, Mahishasura: Myths and Traditions, mahishasur martyrdom day, महिषासुर शहादत दिवस
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/3g0s-jh13
- Abstract:
- इक्कसवीं सदी के दूसरे दशक में भारत में महिषासुर आंदोलन द्विज संस्कृति के लिए चुनौती बनकर उभरा। इसके माध्यम से आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों के एक बड़े हिस्से ने अपनी सांस्कृतिक दावेदारी पेश की। लेकिन यह आंदोलन क्या है, इसकी जड़ें समाज में कहां तक फैली हैं, बहुजनों की सांस्कृतिक परंपरा में इसका क्या स्थान है, मौजूदा लोक-जीवन में महिषासुर की उपस्थिति किन-किन रूपों में है, इसके पुरातात्विक साक्ष्य क्या हैं? गीतों-कविताओं व नाटकों में महिषासुर किस रूप में याद किए जा रहे हैं और अकादमिक-बौद्धिक वर्ग को इस आंदोलन ने किस रूप में प्रभावित किया है, उनकी प्रतिक्रियाएं क्या हैं? आदि प्रश्नों पर विमर्श हमें एक ऐसी बौद्धिक यात्रा की ओर ले जाने में सक्षम हैं, जिससे हममें अधिकांश अभी तक अपरिचित रहे हैं। क्या महिषासुर दक्षिण एशिया के अनार्यों के पूर्वज थे, जो बाद में एक मिथकीय चरित्र बन कर बहुजन संस्कृति के प्रतीक पुरुष बन गए? क्या यह बहुत बाद की परिघटना है, जब माकण्डेय पुराण, दुर्गासप्तशती जैसे ग्रंथ रच कर, एक कपोल-कल्पित देवी के हाथों महिषासुर की हत्या की कहानी गढ़ी गई? इस आंदोलन की सैद्धांतिकी क्या है? प्रमोद रंजन द्वारा संपादित किताब “महिषासुर: मिथक व परंपराएं” में लेखकों ने उपरोक्त प्रश्नों पर विचार किया है तथा विलुप्ति के कगार पर खड़े असुर समुदाय का विस्तृत नृवंशशास्त्रीय अध्ययन भी प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक में समकालीन भारतीय साहित्य में महिषासुर पर लिखी गई कविताओं व गीतों का प्रतिनिधि संकलन भी है तथा महिषासुर की बहुजन कथा पर आधारित एक नाटक भी प्रकाशित है। समाज-विज्ञान व सांस्कृतिक विमर्श के अध्येताओं, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, साहित्य प्रेमियों के लिए यह एक आवश्यक पुस्तक है।
- Notes:
- इस विषय पर केंद्रित एक अन्य पुस्तक "महिषासुर: एक जननायक" का हिंदी संस्करण यहां देख सकते हैं: https://hal.science/hal-03749960 "महिषासुर: एक जननायक" का अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित है। उसे यहां देखा जा सकता है: https://hal.science/hal-03834426v1
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Book Show details
- Pub. DOI:
- 10.17613/hz5d-e827
- Publisher:
- द मार्जिनालाइज्ड प्रकाशन, दिल्ली
- Pub. Date:
- 2017
- ISBN:
- 9788193561652
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 8 months ago
- License:
- Attribution-NonCommercial
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Item Name: पुस्तक-महिषासुर-मिथक-व-परंपराएं-संपादक-प्रमोद-रंजन-2007.pdf
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