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महिषासुर एक जननायक
- Editor(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2023
- Group(s):
- Cultural Studies, Festivals, Rituals, Public Spectacles, and Popular Culture, General Education, History, Religious Studies
- Subject(s):
- Social justice, Caste, Indigenous peoples, Blasphemy, Culture conflict, Indian mythology, Durgā (Hindu deity), Mahiṣāsuramardinī (Hindu deity), Caste-based discrimination, Hinduism and politics
- Item Type:
- Book
- Tag(s):
- mythology, asur samudaay, mahishashur, dwij sanskriti, bahujan sanskriti
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/jeaw-3617
- Abstract:
- प्रमोद रंजन द्वारा संपादित पुस्तक “महिषासुर एक जननायक” का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि आखिर महिषासुर नाम से शुरू किया गया यह आन्दोलन है क्या? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके निहितार्थ क्या हैं? इस पुस्तक में प्रश्न उठाया गया है कि जब असुर एक प्रजाति है तो उसकी हार या उसके नायक की ह्त्या का उत्सव किस सांस्कृतिक मनोवृत्ति का परिचायक है? इतिहास में बहुजन नायकों को पीछे कर दिया गया। बहुजन प्रतीकों को अपमानित किया जा रहा है। हमारे नायकों को छलपूर्वक अंगूठा और सिर काट लेने की प्रथा पर हम सवाल करना चाहते हैं। इन नायकों का अपमान हमारा अपमान है। विभिन्न स्रोतों के अध्ययन से यह स्पष्ट किया गया है कि एक देवी के रूप में दुर्गा वास्तव में मिथकीय चरित्र है¸ ब्राह्मणों की कल्पना मात्र है। जबकि महिषासुर एक वास्तविक चरित्र हैं, जो के प्रतापी, समतावादी जननायक था। - मो. आरिफ खान, युवा आलोचक व समीक्षक, मार्च 2017
- Notes:
- पिछले कुछ सालों से महिषासुर के नाम पर एक आंदोलन शुरू हुआ है। इस आंदोलन के कर्ताओं ने महिषासुरमर्दिनी दुर्गा के मिथक का प्रचलित पाठ से इतर एक अन्य पाठ पेश किया है, जिसके अनुसार महिषासुर देवताओं के छल के शिकार हुए और दुर्गा इस छल का माध्यम बनीं। प्रस्तुत पुस्तक महिषासुर के मुद्दे पर उनके पक्षधरों का दृष्टिकोण पेश करती है। - दैनिक हिंदुस्तान, 9 अक्टूबर, 2016
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Book Show details
- Publisher:
- The Marginalised Publication, Delhi/Wardha
- Pub. Date:
- June, 2016
- ISBN:
- 978-93-87441-01-9
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 5 months ago
- License:
- Attribution
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