-
डॉग फाइटिंग : उन बच्चों की लाशों पर किन नवधनाढ्यों के दांतों के निशान थे?
- Author(s):
- Pramod Ranjan (see profile)
- Date:
- 2019
- Group(s):
- Communication Studies, Cultural Studies, Public Humanities
- Subject(s):
- Dogfighting, Animals--Social aspects
- Item Type:
- Editorial
- Tag(s):
- Prevention of Cruelty to Animals Act, Animaux -- Protection
- Permanent URL:
- https://doi.org/10.17613/gyw0-kp52
- Abstract:
- इस लेख में भारत में चल रही डॉग फाइटिंग के दौरान होने वाली क्रूरता तथा इन कुत्तों द्वारा मनुष्यों को मार दिए जाने की घटनाओं के बारे में बताया गया है। भारत में डॉग फाइट ‘पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम,1960’ के तहत दंडनीय अपराध है। जिसके तहत जुर्माना और जेल का प्रावधान है। लेकिन हिसार के विभिन्न फार्म हाउसों में यह खेल सालों भर छुप-छुप कर चलाया जाता है। पुलिस की नज़र से बचने के लिए आयोजक जगह बदलते रहते हैं। पूरा मामला पशु क्रूरता के साथ-साथ सट्टेबाजी, हवाला के माध्यम से पैसे के लेनदेन, कुत्तों व अन्य पशु-अंगों (मृग छाल, बाघ का चमड़ा, हाथी के दांत आदि) की तस्करी तथा अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त से भी नाभि-नाल बद्ध है। दर्शकों को आमंत्रित करने व सट्टा लगाने के लिए कुछ गुप्त व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाये गए हैं, जिनमें सबसे सक्रिय ‘बुली डॉग’ नामक व्हाट्सएप ग्रुप है। इन डॉग फाइट्स का एक और खतरनाक पहलू है, जिससे कम ही लोग परिचित हैं। जब ये खूंखार कुत्ते प्रौढ़ हो जाते हैं या घायल होकर लड़ाई में भाग लेने लायक नहीं रह जाते हैं तो उनके मालिक उन्हें गाड़ियों में डालकर चुपके से कहीं दूर छोड़ देते हैं। इन्हें मांस और ताजा खून का चस्का होता है। लावारिश छोड़े जाने के बाद ये गलियों में खेलते मनुष्यों के छोटे बच्चों को शिकार बनाते हैं और अक्सर उन्हें घसीट कर मार डालते हैं। नवधनाढ्यों का यह खूनी खेल न सिर्फ तस्करी और कई किस्म के अवैध आर्थिक लेनदेन का जरिया है, बल्कि यह बेजुबां कुत्तों के साथ-साथ कमजोर तबकों के मनुष्यों की भी जान ले रहा है। अब तक इन घटनाओं को ‘आवारा’ कुत्तों का काम कह कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता रहा है। लेकिन जांच एजेंसियों को पता करना चाहिए कि इतने हिष्ट-पुष्ट कुत्ते अचानक ‘आवारा’ कैसे हो जाते हैं? ये किनके पालतू थे? इन्हें स्लम/दलित-मुसलमानों के बस्तियों के नज़दीक लाकर कौन छोड़ गया था? जांच एजेंसियों को डॉग फाइटिंग के सभी पहलुओं की गहन जांच करनी चाहिए ताकि इन शौकिया हत्यारों, हवाला कारोबारियों और तस्करों को कड़ी सजा मिल सके। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा पशु संरक्षण के लिए काम कर रही संस्थाओं को भी इस दिशा में कानूनी कार्रवाई की पहल करनी चाहिए।
- Notes:
- अप्रैल-मई, 2018 में उत्तरप्रदेश के सीतापुर इलाक़े से अचानक कुत्तों द्वारा बच्चों पर किये जाने वाले जानलेवा हमलों की खबरें आने लगी थीं। हमले का शिकार होने वाले बच्चे 5 से 12 वर्ष के बीच के थे। कुत्तों ने अलग-अलग जगहों पर एक दर्जन से अधिक बच्चों को मार डाला था तथा कई जगह तो उन्हें खा भी गए थे। इनमें ज्यादातर बच्चे दलित अतिपिछड़े और मुसलमान परिवारों के थे।
- Metadata:
- xml
- Published as:
- Online publication Show details
- Pub. URL:
- https://www.forwardpress.in/2019/01/news-dog-fights-hisar-haryana/
- Publisher:
- Forward Press
- Pub. Date:
- JANUARY 27, 2019
- Website:
- Forward Press
- Status:
- Published
- Last Updated:
- 1 year ago
- License:
- Attribution
- Share this:
Downloads
Item Name: dog-fighting_impact-on-sociaty_news-analysis_pr_assam-university.pdf
Download View in browser Activity: Downloads: 35