• दिल्ली बलात्कार कांड और भारत का शहरी मध्यवर्ग

    Author(s):
    Pramod Ranjan (see profile)
    Date:
    2022
    Group(s):
    Cultural Studies, Social History of Archives
    Subject(s):
    Rape, Caste, Hanging, Dalits--Civil rights
    Item Type:
    Article
    Tag(s):
    India, delhi, nirbhya, balatkar
    Permanent URL:
    https://doi.org/10.17613/0vmk-wn04
    Abstract:
    16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार कांड के विरोध में हुए प्रदर्शनों ने रायसीना हिल्स को हिला कर रख दिया। अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद यह दूसरा बड़ा आंदोलन था, जिसमें उत्तर भारत का शहरी मध्यवर्ग बड़े पैमाने पर हिस्सा ले रहा था। अन्ना के आंदोलन की तुलना में इस आंदोलन में युवाओं की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा थी। यही कारण था कि क्या सत्ता, क्या विपक्ष, दिल्ली की गद्दी पर राज करने वाले सभी पक्ष, भारत में अरब स्प्रिंग की आहट महसूस कर रहे हैं। आखिर, एक ऐसे देश में जहां हर एक घंटे से कम समय में बलात्कार की एक घटना होती है तथा हर आधे घंटे से कम समय में बलात्कार की कोशिश या छेड़छाड़ की घटना होती है, उस देश में दिल्ली की एक अनाम लड़की के साथ हुई घटना को लेकर इतना बड़ा आंदोलन क्यों हुआ? क्या सिर्फ इसलिए कि दिल्ली भारत की राजधानी है, और यहां समाचार-माध्यमों की नजर ज्यादा रहती है? या फिर कोई और वजह थी?
    Notes:
    भारतीय मध्यम वर्ग दिसंबर, 2012 में दिल्ली बलात्कार कांड पर फांसी की सजा की मांग कर रहा था। 2004 में धनंजय चटर्जी मामले में ऐसा क्या था कि फांसी में जल्लाद तक का हाथ कांप जा रहा था? धनंजय चटर्जी ब्राह्मण था। मनुस्मृति हिंदू विधान में ब्राह्मण को हत्या व बलात्कार सहित किसी भी अपराध के लिए फांसी नहीं दी जा सकती। और संभवत: भारत के ज्ञात इतिहास में पहली बार किसी ब्राह्मण को राज्य सत्ता द्वारा फांसी की सजा दी गई थी इसलिए दिसंबर के दिल्ली बलात्कार कांड को इस दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है।
    Metadata:
    Status:
    Published
    Last Updated:
    1 year ago
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